वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज:-प्रवीण अग्रवाल को एक ट्रेंड पायलट होते हुए भी उन्हें नफरी में शामिल नहीं किया गया। इस दौरान ही वे बिना वेतन के कमांडर बन गए। उन्होंने अपनी शिफ्टिंग, बच्चों का दाखिला व दूसरे कई कार्य पूरे करने के लिए पैसों का इंतजाम करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें एएन32 एयरक्राफ्ट उड़ाने की ट्रेनिंग भी दोबारा से करनी पड़ी...
केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिए बीएसएफ का हवाई जहाज उड़ाने वाले एयरफोर्स के एक पायलट (ग्रुप कैप्टन) को कई तरह का नुकसान झेलना पड़ा है। ग्रुप कैप्टन प्रवीण अग्रवाल का छह माह का वेतन तक रोक दिया गया। उन्हें ग्रुप कैप्टन की पदोन्नति तो दी गई, मगर उसे ग्रुप कैप्टन 'लोकल' में तब्दील कर दिया। प्रवीण अग्रवाल का कसूर केवल इतना रहा कि उन्होंने दोबारा से बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति के लिए अपना आवेदन दे दिया। इसके बाद उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। जो बातचीत/समन्वय (लाइजनिंग) भारतीय वायु सेना और केंद्रीय गृह मंत्रालय (बीएसएफ की ओर से) द्वारा की जानी चाहिए थी, उसकी जिम्मेदारी ग्रुप कैप्टन पर डाल दी गई। उन्हें ऐसे दस्तावेज लाने के लिए कहा गया, जिन्हें व्यक्तिगत तौर पर हासिल करना बहुत जोखिम भरा काम होता है। अमूमन इस तरह से दस्तावेजों का आदान प्रदान, दो मंत्रालयों/विभागों के बीच होता है। ग्रुप कैप्टन प्रवीण अग्रवाल को जब कहीं से कोई राहत नहीं मिली, तो मजबूरन उन्हें उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
प्रतिनियुक्ति के जरिए बीएसएफ में आए थे ग्रुप कैप्टन
वायु सेना के ग्रुप कैप्टन प्रवीण अग्रवाल को केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत बीएसएफ में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। 15 दिसंबर 2001 में एयरफोर्स ज्वाइन करने वाले अग्रवाल को लड़ाकू हवाई जहाज उड़ाने में अभ्यस्त माना जाता है। उनका प्रतिनियुक्ति कार्यकाल 29 अप्रैल 2019 से लेकर 28 अप्रैल 2022 तक तय हुआ था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत 29 मार्च 2019 को प्रवीण अग्रवाल को बीएसएफ में बतौर कमांडेंट 'पायलट' के पद पर नियुक्ति दी गई। इस बीच 20 मार्च 2020 को प्रमोशन बोर्ड ने ग्रुप कैप्टन पद के लिए विंग कमांडर को एक्सटेंडेड सिलेक्ट रिजर्व लिस्ट 'ईएसआरएल' में शामिल कर दिया। हालांकि 30 अप्रैल 2020 से अग्रवाल को ग्रुप कैप्टन 'लोकल' का पद दिया गया। यानी अभी वे अस्थायी तौर पर ग्रुप कैप्टन रहेंगे।
तो इसलिए प्रवीण ने दोबारा से कर दिया आवेदन
चूंकि प्रवीण अग्रवाल का प्रतिनियुक्ति कार्यकाल 28 अप्रैल 2022 को पूरा होना था, इसलिए उससे पहले ही बीएसएफ में किसी दूसरे पायलट को भेजने के लिए आवेदन निकला। 16 नवंबर 2021 को एयरफोर्स ने अपने अफसरों से पूछा, बीएसएफ में कौन जाना चाहता है। इस मामले में जब 31 दिसंबर 2021 तक कोई नाम सामने नहीं आया, तो प्रवीण अग्रवाल ने दोबारा से खुद ही अपना आवेदन दे दिया। तभी उन्हें ग्रुप कैप्टन का रेग्यूलर प्रमोशन भी मिल गया। खास बात है कि पदोन्नति की फाइल में केवल प्रवीण अग्रवाल को ही 'लोकल' ग्रुप कैप्टन बनाया गया था। इसके बाद 10 मार्च 2022 को बीएसएफ द्वारा प्रवीण अग्रवाल का कार्यकाल बढ़ाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से आग्रह किया गया। इस संबंध में कहा गया कि गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय की मदद से कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए बातचीत कर सकता है।
यूं फंसता चला गया ग्रुप कैप्टन का मामला
इस बीच वायु सेना ने सात अप्रैल 2022 को ग्रुप कैप्टन प्रवीण अग्रवाल को थर्ड विंग में एडीशनल अफसर के तौर पर तैनात कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 अप्रैल 2022 को रक्षा विभाग को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया कि ग्रुप कैप्टन का कार्यकाल दो साल बढ़ा दिया जाए। हालांकि तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर, प्रवीण अग्रवाल ने 29 अप्रैल 2022 को पालम हवाई अड्डा और नई दिल्ली में रिपोर्ट कर दी। उस वक्त उन्हें संबंधित विंग की 'स्ट्रेंथ' यानी नफरी में शामिल नहीं किया गया। उसी वक्त बीएसएफ को ग्रुप कैप्टन अग्रवाल को रिलीव करने की प्रार्थना दे दी गई। अग्रवाल का रिलीवर कौन होगा, यह सूचना भी 13 अप्रैल 2022 को जारी हो गई। आर गौतम को उनका रिलीवर बनाया गया। अग्रवाल यह बात जानते थे कि जब तक बीएसएफ उन्हें रिलीव नहीं करेगी, तब तक एयरफोर्स की नफरी में उनकी गिनती नहीं हो सकेगी। एयरफोर्स ने उन्हें 2 जून 2022 को अपने एक आदेश से दसवीं विंग, जो कि जोराहट 'असम' में है, वहां पोस्ट कर दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि उन्हें 10 जून तक रिपोर्ट करना होगा।
नियमित नहीं हो सका 39 दिन का 'एक्सटेंडेंड टेन्योर'
छह जून तक जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्रवीण अग्रवाल पूरी तरह, प्रतिनियुक्ति से वापस वायुसेना में आ गए। यहां पर 39 दिन के कार्यकाल की बात फंस गई। प्रवीण ने नौ जून को एयरफोर्स के माध्यम से बीएसएफ को लिखा कि मेरा 39 दिन का 'एक्सटेंडेंड टेन्योर' नियमित किया जाए। एयरफोर्स हेडक्वार्टर ने यह आवेदन रिजेक्ट कर दिया। कहा, ये तो ओवर स्टे का मामला है। इसके बाद 24 जून को एक अन्य आदेश निकलता है कि प्रवीण अग्रवाल को वायु सेना की दसवीं विंग से 49 स्क्वाड्रन में बतौर कमांडिंग अफसर, पहली जुलाई से लगाया गया है। 19 जुलाई 2022 को एएफसीएओ ने ग्रुप कैप्टन अग्रवाल से कहा, तुम बीएसएफ के साथ बात करो, लाइजनिंग करो। वहां से एलपीसी यानी 'लास्ट पे सर्टिफिकेट' लाओ। 'फुल पे कमीशन सर्विस सर्टिफिकेट', सिग्नल, पर्सनल आकुरेंस रिपोर्ट और पर्सनल होल्डिंग सिस्टम द्वारा पोस्टिंग आउट करना, जैसे कई दस्तावेज लाने की बात कही। जब ये सब दस्तावेज आ जाएं, तभी 'इंडिजुअल रनिंग लेजर अकाउंट' जीवित होगा। इसके बाद ही वेतन जारी होगा।
जो कुछ हुआ है, उसकी जिम्मेदारी तय हो
11 अगस्त 2022 को प्रवीण अग्रवाल ने बीएसएफ से आग्रह किया कि वह उसके 39 दिन के पीरियड को नियमित कर दे। कई पत्रों का आदान प्रदान हुआ। तभी एयरफोर्स ने ईस्टर्न कमांड को पत्र लिखा कि हम उक्त औपचारिकताएं जल्द पूरी कर रहे हैं। प्रवीण ने 29 नवंबर 2022 को एयरफोर्स में शिकायत दी कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उसकी जिम्मेदारी तय की जाए। इसके बाद 8 दिसंबर 2022 को रक्षा मंत्रालय की ओर से 39 दिन का पीरियड नियमित कर दिया गया। प्रवीण अग्रवाल को छह माह तक वेतन नहीं मिला था। वह मैटर भी तीस दिन में हल करने की बात कही गई। 16 दिसंबर 2022 को प्रवीण को एक पत्र मिलता है। उसमें लिखा था कि उन्हें ग्रुप कैप्टन रैंक पर सात जून 2022 से रेग्यूलर प्रमोशन मिला है। हालांकि उस पदोन्नति के हिसाब से जो वरिष्ठता सूची जारी हुई है, उसमें ये लाभ एक मार्च से दिखाए गए हैं। प्रवीण की मांग थी कि दूसरे अधिकारियों की तर्ज पर उसे तीन जनवरी 2022 से उक्त वरिष्ठता दी जाए।
दोबारा से करनी पड़ी एयरक्राफ्ट उड़ाने की ट्रेनिंग
लिहाजा प्रवीण अग्रवाल को एक ट्रेंड पायलट होते हुए भी उन्हें नफरी में शामिल नहीं किया गया। इस दौरान ही वे बिना वेतन के कमांडर बन गए। उन्होंने अपनी शिफ्टिंग, बच्चों का दाखिला व दूसरे कई कार्य पूरे करने के लिए पैसों का इंतजाम करना पड़ा। यहां तक कि उन्हें एएन32 एयरक्राफ्ट उड़ाने की ट्रेनिंग भी दोबारा से करनी पड़ी, जबकि बीस साल से वे प्रशिक्षित पायलट की श्रेणी में रहे हैं। इन सबके बाद जो पे स्लिप आई है, उसमें अग्रवाल का बीमा भी नहीं हुआ था। पहले कई माह का वेतन और उसके बाद बीमा भी नहीं, इसके लिए उन्होंने ट्रिब्यूनल से रिलीफ मांगा है। करीब छह सात माह का वेतन क्यों नहीं मिला, इसके लिए किसी की जिम्मेदारी तय नहीं थी। वह जिम्मेदारी तय की जाए। इस बाबत ट्रिब्यूनल के माध्यम से सारा रिकॉर्ड मांगा गया है।
केस में वायुसेना प्रमुख सहित पांच लोग हैं पार्टी
ग्रुप कैप्टन ने अपने रेग्यूलर प्रमोशन से संबंधित फाइल मुहैया कराने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने ट्रिब्यूनल से यह मांग भी की है कि दूसरे अधिकारियों को जिस तिथि से प्रमोशन मिला है, वैसे ही उन्हें भी प्रदान की जाए। एयरफोर्स, इस मैटर को बीएसएफ के साथ टेकअप करे। शिकायतकर्ता को 18 फीसदी ब्याज के साथ एक मार्च 2020 से लेकर 6 जून 2022 तक ग्रुप कैप्टन के पद का वेतन दिया जाए। प्रवीण अग्रवाल ने ट्रांसफर अलाउंस के अलावा अपना बकाया वेतन देने की मांग भी की है। इस संबंध में उन्होंने भारत सरकार में रक्षा मंत्रालय के सचिव, वायु सेना प्रमुख के अलावा कई अफसरों को पार्टी बनाया है। विजय देव को नाम से पार्टी बनाया गया है। ट्रिब्यूनल के समक्ष एडवोकेट अंकुर छिब्बर, इस मामले में ग्रुप कैप्टन प्रवीण अग्रवाल की ओर से पैरवी कर रहे हैं।